वैदिक ज्योतिष क्या है?
वैदिक ज्योतिष शब्द हमें दुनिया के सबसे प्राचीन धर्मग्रंथों ‘वेदों’, से जुड़ी किसी चीज़ की याद दिलाता है।
सच है, वैदिक ज्योतिष की जड़ें वेदों अर्थात् हिंदुओं के सर्वोच्च ज्ञान की पुस्तकों में हैं, जो दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म है। यह वेदांगों में से एक है। इसकी उत्पत्ति ऋषियों की दिव्य दृष्टि से हुई थी। प्राचीन ऋषियों में सबसे महान वशिष्ठ थे और उनके पौत्र थे पाराशर जिनसे वैदिक ज्योतिष की उत्पत्ति को जोड़ा जाता है। उनकी महान रचना ‘बृहत् पाराशर होरा शास्त्र’ आज तक के सभी ज्योतिषीय शास्त्रों और उन पर लिखी गयी टीकाओं का स्रोत है।
वैदिक ज्योतिष का मूल नाम ‘ज्योतिष’ या ‘प्रकाश का विज्ञान’ है। यह हमें ‘कर्म के नियम’ के बारे में बताता है, जो इस वैदिक ज्योतिष का एकमात्र आधार है। कर्म का नियम जन्मों की एक श्रृंखला के माध्यम से संचालित होता है, वर्तमान जन्म उस लंबी श्रृंखला का एक छोटा सा हिस्सा है। कोई भी व्यक्ति जो बोता है वही काटता है, यही मार्गदर्शक सिद्धांत है। आपको कार्य करने या न करने की स्वतंत्र इच्छा मिली हुई है, लेकिन एक बार कार्य हो जाने के बाद, कर्म का यह नियम क्रियाशील हो जाता है और अपने परिणाम लाता है। हमारे ऋषियों ने परमानंद की स्थिति में इस सत्य को महसूस किया था। इसलिए, 'भाग्य' केवल 'अदृष्ट कर्म' है, हमारा अपना कर्म जिसे हम देख नहीं सकते। इसलिए, आने वाला भविष्य हमारा अतीत ही है, हमारे पिछले कर्मों का परिणाम
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